-राजेन्द्र एस-
(Bureau Chief)
हाजीपुर। रेल यात्रा में पानी की बोतलों (water bottle in train) से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। यात्री पानी की बोतलों को इस्तेमाल करने के बाद नष्ट नहीं करते। इन बोतलों को यूं ही फेंक देते हैं। अब रेलवे इन पानी की बोतलों को वापस लेगा। बदले मे प्रति बोतल के पांच रुपए दिए जाएंगे। यह पांच रुपये उन्हें वाउचर के रूप में रेलवे की एजेंसी बायो-क्रश की ओर से मिलेंगे। इस पैसे का इस्तेमाल कई चुनिंदा दुकानों और मॉल में सामान खरीदने के लिए किया जा सकेगा।
इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। रेलवे की इस अनूठी पहल को सराहा जा रहा है। रेल यात्रा में पानी की बोतलों (water bottle in train) को एकत्रित करने के लिए भी रेलवे नई योजना लेकर आया है। रेलवे ने चार स्टेशनों पर विशेष मशीनें लगाई हैं। याात्री इन मशीनों में बोतल डाल कर क्रश कर सकेगा।
बोतलों को क्रशर मशीन में डालना होगा
इसके लिए यात्री को अपना मोबाइल नम्बर मशीन में फीड करना होगा। पूर्वी मध्य रेलवे के चार रेलवे स्टेशनों पर ये क्रशर मशीनें लगाई गई है। इनमें पटना जंक्शन, राजेन्द्र नगर, पटना साहिब और दानापुर स्टेशन शामिल हैं। सीपीआरओ राजेश कुमार ने कहा कि यात्री को अपनी खाली बोतलों को क्रशर मशीन में डालना होगा। क्रशर मशीन में बोतल डालने के समय मोबाइल नंबर डालना पड़ता है. उसके बाद बोतल डालने और तत्पश्चात क्रश होने पर थैंक्यू मैसेज के साथ राशि से संबंधित पांच रुपए का वाउचर मिल जाता है।
water bottle in train : बनेंगे टी-शर्ट, टोपी
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) राजेश कुमार कहा, रेलवे स्टेशनों पर बेकार पड़े रहने वाली खाली पानी की प्लास्टिक बोतलों से पूर्व मध्य रेलवे अब टी-शर्ट बना रही हंै। ये टी-शर्ट सभी मौसम में पहनने लायक होंगी। टी-शर्ट बनाने के लिए रेलवे का मुंबई की एक कंपनी से करार हुआ है। जल्द ही इन प्लास्टिक की बोतलों से बना टी-शर्ट बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होगा। इस बारे में रेलवे सूत्रो का कहना है कि बोतलों को क्रश कर इसका लिक्विड बनाया जाता है। उसके बाद टी-शर्ट, टोपी बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि इससे पेंट भी बन सकता है।