train food : ट्रेन में खान-पान की गुणवत्ता कमजोर

-तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपध्याय ने लगाया आरोप
-राजेन्द्र एस-(Delhi Bureau)

नई दिल्ली। लोकसभा में रेलवे (railway) की अनुदान मांगों को लेकर हुई बहस में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि ट्रेनों में मिलने वाले खान-पान (train food) की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें रही हैं। आईआरसीटीसी खान-पान (train food) की गुणवत्ता पर ध्यान दें और साफ-सफाई को दुरुस्त करने की जरूरत है। रेलवे आईआरसीटीसी खानपान को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन सुधार की बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में बुलेट ट्रेन व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है इसलिए बुलेट ट्रेन की बातें सिर्फ अफवाह हैं। यहां हाईस्पीड स्टेशन ही संभव है। सरकार रेलवे में रिक्तियों को कब भरेगी? तृणमूल कांग्रेस की माला राय ने कहा कि सरकार ने रेलवे की आय को बढ़ाने का कोई खाका नहीं तैयार किया है और पूरा जोर सिर्फ सार्वजनिक निजी साझेदारी पर है। इससे रेलवे का भला नहीं होगा। आईयूएमएल के पीके कुन्हालिकुट्टी ने कहा कि सरकार रेलवे के विकास के बड़े बड़े दावे कर रही है लेकिन इसके लिए उचित आवंटन नहीं हुआ है। बीजू जनता दल के चंद्रशेखर साहू ने कहा कि ओडिशा में रेलवे परियोजनाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कहा कि फोनी तूफान से पुरी रेलवे स्टेशन को बहुत नुकसान हुआ है, इसके विकास की जरूरत है। आईआरसीटीसी खानपान (train food) की गुणवत्ता को बेहतर बनाएं।
रेल संचालन में पीपीपी माॅडल हो विकसित
भाजपा के गोपाल शेट्टी ने पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देने की मांग करते हुए यह भी कहा कि अगर लोग अधिक किराया देकर यात्रा करने को तैयार हैं तो ऐसे मार्गों पर निजी परिचालन पर सरकार को विचार करना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस के दुर्गा प्रसाद दास ने कहा कि आंध्र प्रदेश में रेलवे परियोजनाओं के विकास के लिए सरकार पूरी मदद दे। आरएसपी के एन के प्रेमचद्रन ने कहा कि सरकार ने 2030 तक रेलवे में 50 लाख करोड़ रूपए निवेश का लक्ष्य रखा है, यह कैसे पूरा होगा। सरकार इसके लिए केवल सार्वजनिक निजी साझेदारी पर निर्भर लगती है। राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि आम बजट और रेल बजट का एकसाथ मिलाने से रेलवे में कौन सा ऐसा बड़ा बदलाव आया, यह सरकार को बताना चाहिए। बजट में 50 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य रखा गया है जबकि इस साल केवल 1.6 लाख करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया है, ऐसे में तो इस लक्ष्य को हासिल करने में 30 साल लग जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार पीपीपी पर ही जोर दे रही है, ऐसे में कई आशंकाएं उत्पन्न हो रही हैं।