-भारत में चलेगी तीन नई टॉय ट्रेन (Toy Train)
-श्याम मारू-
बीकानेर। Toy Train गर्मियों की छुट्टियां आने वाली हैं। मतलब घूमने, मस्ती करने की छुट्टियां। बीकानेर और आसपास के अधिकांश लोग हिल स्टेशन जाना पसंद करते हैं। हिल स्टेशन जाने वालों का टॉय ट्रेन (Toy Train) के प्रति भी क्रेज जरूर रहता है। खासकर बच्चों को। पर्वतीय वादियों की छटा देखने की इच्छा रखने वालों के लिए खुशखबरी है। रेलवे शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश के लिए तीन नई टॉय ट्रेनों (Toy Train) को चलाने का ऐलान किया है।
कपूरथला में तैयार हो रही टॉय ट्रेन (Toy Train)
भारतीय रेलवे हिमाचल प्रदेश में तीन नई टॉय ट्रेनों को चलाने के लिए तैयार है। इस साल गर्मियों की छुट्टियों में शिमला-कालका रूट पर ये तीनों ट्रेनें चलाई जाएंगी। कालका-शिमला टॉय ट्रेनों के डिब्बे रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला में बनाए जा रहे हैं।
180 डिग्री में घूमेंगी सीट
नई ट्रेन के कोच जर्मन निर्माता लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) ने डिजाइन किए हैं। टॉय ट्रेनों के लिए कुल 30 नई जेनरेशन के एलएचबी कोच होंगे जो 765 मिमी नैरो गेज का उपयोग करते हैं। सुविधा की बात करें तो.. नई ट्रेनों में एसी कोच में 180 डिग्री रोट्रेटेबल चेयर सीट और साधारण कोच में फ्लिप-टाइप सीटिंग की व्यवस्था होगी। ट्रेन में सीसीटीवी, सभी कोच में दो आपातकालीन अलार्म पुश बटन, एक यात्री अनाउंसमेंट सिस्टम, एक यात्री सूचना प्रणाली, इंफोटेनमेंट के लिए वाईफाई और एक सिंक-इन एलईडी डेस्टिनेशन बोर्ड होगा।
कांच की छत से देखा नजारा
नई कालका-शिमला टॉय ट्रेनें प्राइवेट या ग्रुप बुकिंग के मामले में बैठने के पैटर्न में संशोधन की अनुमति देंगी। कोच विस्टाडोम कोच होंगे, जो बेहद ही आकर्षक नजारे का अनुभव कराएंगे। छत में ग्लेजिंग (वीएलटी) कवर्ड ग्लास लगा होगा, जिससे आरपासर देखा जा सकेगा। साथ ही बॉडीसाइड डबल-फोल्डेबल दरवाजे, अत्याधुनिक फ्लोर के साथ एलईडी लाइटें इसे और भी आकर्षक बनाएगी।
118 सालों में देश को एक भी टॉय ट्रेन नहीं मिली
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि देश में पांच टॉय ट्रेन चलती हैं। लेकिन पिछले 118 सालों में देश को एक भी नई टॉय ट्रेन नहीं मिली है। यानी आजादी से पहले कि ये अंग्रेजों की चलाई हुई है। यह पहली बार होगा जब भारत में ही टॉय ट्रेन तैयार की जाएगी और संचालित होगी।
देश में इन जगहों पर चलती हैं टॉय ट्रेन
ये नई टॉय ट्रेनें 1903 में अंग्रेजों की ओर से निर्मित 96.6 किलोमीटर नैरो-गेज ट्रैक पर चलेंगी। कालका-शिमला के अलावा, देश में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की ओर से पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच, नीलगिरी माउंटेन रेलवे तमिलनाडु में मेट्टुपलियम से उद्गमंडलम तक, माथेरन हिल रेलवे महाराष्ट्र में नेरल से माथेरन तक और कांगड़ा वैली रेलवे हिमाचल प्रदेश में पठानकोट से जोगिंद्र नगर तक टॉय ट्रेनों का संचालन करता है।