नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने पानी के बेहतर इस्तेमाल के लिए जल प्रबंधन नीति (railway water manaement) बनाई है। इस नीति के तहत रेलवे पानी की बचत पर सबसे ज्यादा ध्यान देगा। रेलगाड़ियों की धुलाई, स्टेशनों की सफाई, रेल परिसरों को हरभरा रखने के लिए पानी के सदुपयोग पर रेलवे पानी के व्यवस्थित ध्यान देगा। भारतीय रेल में रोजाना करोड़ों मुसाफिर सफर करते हैं। रेल प्रशासन को इसकी साफ-सफाई, स्टेशनों को धोने या फिर ट्रेन के डिब्बों को साफ-सुथरा रखने, शौचालयों में पानी की उपलब्धता हो या फिर रेलवे परिसरों को हरा-भरा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। इन सभी कामों में रेलवे में रोजाना लाखों लीटर पानी इस्तेमाल होता है, ऐसे में पानी की इस जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे ने जल संरक्षण नीति (railway water manaement) तैयार की है। जल संरक्षण नीति (railway water manaement) में पानी की मांग और उसकी सप्लाई के लिए पानी की रिसाइलिंग, प्यूरिफिकेशन और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर खासा जोर दिया जाता है। पानी बचाने के लिए पुराने जल निकायों जैसे तलाब, पोखर आदि का जीर्णोद्धार जैसे काम भी रेलवे द्वारा कराया जाते हैं। दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के स्टेशन डायरेक्टर संजय घोष ने बताया कि रेलवे में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बरसात के पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ये वाटर मैनेजमेंट नीति (railway water manaement)
भारतीय रेल द्वारा पानी के संरक्षण के लिए जल प्रबंधन नीति बनाई गई है, जिसमें विशेष रूप से रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, स्वचालित वॉल्वस का प्रयोग, पुराने जल निकायों का जीर्णोद्धार, पानी का ऑडिट आदि के कार्य किए जा रहें है, ताकि पानी का आवश्यकता अनुसार उपयोग हो सकेस रेलवे कोच की साफ-सफाई के लिए ऑटोमेटिक कोच क्लिनिंग सिस्टम लगाया है। इससे पानी की 30 फीसदी तक की बचत हो रही है। भारतीय रेल के वाटर मैनेजमेंट सिस्टम में पानी की सप्लाई सिस्टम में सुधार, स्वचालित वाल्व का इस्तेमाल, सौर वाटर हीटर का इस्तेमाल, रेन-वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करना, रेलवे की जमीन पर पुराने जल निकायों तालाब आदि को फिर से जीवित करना, पानी की रिसाइक्लिंग और पानी का सही तरीके से इस्तेमाल करना और पानी का ऑडिट करना। पानी के ऑडिट में पानी के इस्तेमाल और बचत का पूरा ब्यौरा तैयार करना होता है।