-श्याम मारू-
नई दिल्ली। रेलवे(railway) ने 200 सदस्यों वाले रेलवे बोर्ड (Railway Board)में 25 फीसदी कटौती करके इसका आकार घटा कर 150 सदस्यों तक करने की योजना बनाई है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। रेलवे बोर्ड (Railway Board) की दक्षता बढ़ाने के लिए उसके आकार को कम करने की योजना काफी लंबे समय से चल रही थी। इसका प्रस्ताव सन 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पेश किया था। सरकार ने राष्ट्रीय परिवहन की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई का आकार कम करने का प्रस्ताव दिया था। एक सूत्र ने बताया, वर्तमान में बोर्ड (Railway Board) में 200 अधिकारी हैं। इनमें से निदेशक स्तर के 50 अधिकारियों और इससे अधिक को जोनल रेलवे में स्थानांतरिक करके इसका आकार घटा कर 150 लोगों का किया जाएगा। यह काफी समय से लंबित है और ऐसा महसूस किया जा रहा था कि बहुत सारे लोग एक जैसा काम कर रहे हैं और दक्षता बढ़ाने के लिए जोन में वरिष्ठ अधिकारियों की आवश्यकता है।
100 दिन के एजेंडा का हिस्सा
उन्होंने बताया कि इस योजना को शीघ्र ही अमल में लाया जाएगा। यह योजना रेल मंत्री(rail minister) पीयूष गोयल (piyush goyal) द्वारा पेश 100 दिन के एजेंडा का हिस्सा है और रेलवे बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष वी के यादव की प्राथमिकता है। गौरतलब है कि 2015 में भारतीय रेलवे पर बीरेक डिब्रॉय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमेशा देखा गया है कि रेलवे बोर्ड सहित रेलवे में कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा है। यह संगठन की दक्षता पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन मंत्रालय की कायापलट की शुरुआत मात्र है। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारतीय रेलवे की केंद्रीकृत संरचना और विभागीयकरण रेलवे की कार्य संस्कृति पर प्रभाव डाल रहा है और विभाग के लक्ष्यों के लिए इसके दृष्टिकोण को कम कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह हमेशा देखा गया है कि रेलवे बोर्ड सहित रेलवे ओवरस्टाफ हो गया था। इससे संगठन की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। इसलिए ये फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि रेलवे द्वारा कुशल कार्यप्रणाली के साथ-साथ वित्तीय व्यवहार्यता के लिए आवश्यक कर्मचारियों की सही संख्या की समीक्षा करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए।