नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में कार्यरत ग्रुप सी और डी (railway group c d) के कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा है। ग्रुप सी व डी (railway group c d) के कर्मचारियों को रेलवे की सात उत्पादन इकाइयों से बाहर करने का मसौदा तैयार किया जा रहा हैं। सात उत्पादन इकाइयों में ग्रुप सी व ग्रुप डी (railway group c d) के कर्मचारी रेलवे के कर्मचारी नहीं रहेंगे । रेलवे महत्वपूर्ण सात उत्पादन इकाइयों को कार्पोरेरशन बनाने की तैयारी कर रहा है। ये इकाइयां व्यक्तिगत लाभ केन्द्र के रूप में काम करेगी।
100 दिनों का एक्शन प्लान
रेल मंत्रालय (#rail ministry) ने 100 दिन का एक्शन प्लान तैयार किया है। इसमें सात उत्पादन इकाइयों को निगम बनाने के लिए अध्ययन किया जाएगा। इनको इंडियन रेलवे रोलिंग स्टाॅक कम्पनी (irrso) के अण्डर में लाया जाएगा । इसका मुखिया सीएमडी होगा। उत्पादन इकाइयां का मुखिया सीईओ यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा। ये सभी सीईओ कम्पनी के सीएमडी को रिपोर्ट करेंगे।
सबसे पहले एमसीएफ, रायबरेली
सबसे पहले रायबरेली के माडर्न कोच फैक्ट्री एमसीएफ (#mcf raebareli) का निगमीकरण किया जाएगा। इसके बाद चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स आसनसोल, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई । डीजल रेल इंजन कारखाना वाराणसी, डीजल माडर्नाइजेशन वर्क्स पटियाला । ह्वील एंड एक्सल प्लांट बेंगलुरु और रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला को निगम बनाया जाएगा।
अभी है यह व्यवस्था
सभी उत्पादन इकाइयों के सभी कर्मचारी भारतीय रेलवे (#indian railway) के कर्मचारी (rail employee) हैं । रेल सेवा अधिनियम लागू होता है सभी कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारी माना जाता है । केंद्र सरकार की सुविधाएं मिलती हैं, उत्पादन इकाइयों का सर्वेसर्वा जीएम होता है । और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को जीएम रिपोर्ट करता है।
निगमीकरण के बाद यह होगी व्यवस्था
जीएम की जगह सीईओ की तैनाती होगी, वह सीएमडी को रिपोर्ट करेगा। ग्रुप सी और डी का कोई भी कर्मचारी भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं होगा । ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारी निगम के कर्मचारी हो जाएंगे । इन पर रेल सेवा अधिनियम (rail service act) लागू नहीं होगा, कारपोरेशन जो नियम बनाएगा वह लागू होगा। इन कर्मचारियों के लिए अलग से पे-कमीशन आएगा, कांट्रैक्ट पर काम होगा । केंद्रीय सरकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी, सेवा शर्ते भी बदल जाएंगी, नए कर्मचारियों के लिए पे-स्केल और पे-स्ट्रक्चर भी बदल जाएगा।