-रेल मंत्री पीयूष गोयल का संसद में जवाब
-बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा होगा
दीक्षा टी.(Delhi Bureau)
नई दिल्ली,। भारत की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना बुलेट ट्रेन पटरी से उतरी हुई है। प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन (project bullet train) के लिए अभी तक महाराष्ट्र के पालघर में जमीन तक अटकी हुई है। पालघर इलाके के आदिवासी लोग प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन को नहीं मान रहे। रेल मंत्री पीयूष गोयल (rail minister piyush goyal) ने कहा कि हम आदिवासी भाइयों से बात कर रहे हैं। उनके मुद्दों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हम भाईचारे के साथ भूमि अधिग्रहण करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बुलेट ट्रेन का परिचालन तय समय पर हो जाएगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा था कि महाराष्ट्र के पालघर में भूमि अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दों की वजह से मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (project bullet train) के काम में थोड़ा विलंब हुआ है, लेकिन इस परियोजना को तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा। लोकसभा में गोयल ने कहा कि पालघर में भूमि अधिग्रहण को लेकर कुछ मुद्दे हैं। इसकी वजह से बुलेट ट्रेन के काम में थोड़ा विलंब हुआ है। पश्चिम बंगाल में कुछ रेलवे परियोजनाओं का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जमीन मुहैया नहीं कराने के कारण इन परियोजनाओं में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि पुराने रेलवे पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इनका नियमित ऑडिट कराया जा रहा है। 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के अधीन अनुदान की मांगों पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गोयल ने कहा कि उनके मंत्रालय ने रेल दृष्टि नाम एप तैयार किया है जिससे लोग सभी रेलगाडयिों के आगमन-प्रस्थान के समय और उनकी लोकेशन के बारे में पता कर सकते हैं।
न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का काम शुरू करने का आदेश दिया
नई दिल्ली,। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली मेट्रो के 103.94 किलोमीटर के चौथे चरण की परियोजना पर अमल करने का आदेश दिया और संबंधित प्राधिकारियों को इस परियोजना का निर्माण शुरू करने के निर्देश दिए। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को दिल्ली सरकार के वकील ने सूचित किया कि वह दिल्ली मेट्रो के चैथे चरण पर काम शुरू करने के लिए सहमत हो गई है। शीर्ष अदालत मेट्रो के चैथे चरण की परियोजना से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस परियोजना के लिए मंजूरी 2014 से अधर में लटकी है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच परियोजना के कुछ वित्तीय पहलुओं को लेकर गतिरोध व्याप्त है।