railway no privatisation : निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी आमंत्रित

-लोकसभा में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा
-रेल मंत्री पीयूष गोयल का जवाब

नई दिल्ली,। रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि इसका कोई निजीकरण कर (railway no privatisation) ही नहीं सकता और इसके निजीकरण का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों का सपना दिखाने के बजाय नरेन्द्र मोदी सरकार ने सुविधाएं एवं निवेश बढ़ाने के लिए पीपीपी आमंत्रित करने का इरादा किया है। लोकसभा में वर्ष 2019/20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर गुरूवार को देर रात तक चली चर्चा का शुक्रवार जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा, मैं बार-बार कह चुका हूं कि रेलवे का निजीकरण नहीं (railway no privatisation) किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लेकिन कोई सुविधा बढ़ाने की बात करे, प्रौद्योगिकी लाने की बात करे, कोई नया स्टेशन बनाने की बात करे, कोई हाई स्पीड, सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की बात करे, स्टेशन पर सुविधा बढ़ाने की बात करें तो इसके लिए निवेश आमंत्रित किया जाना चाहिए।

railway no privatisation :रेलवे का निजीकरण नहीं, विकास कर रहे हैं

पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में सुविधा बढ़ाने, गांवों और देश के विभिन्न हिस्सों को रेल सम्पर्क से जोडने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है। अच्छी सुविधा, सुरक्षा, हाई स्पीड आदि के लिए निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करने का सरकार ने निर्णय किया है। रेल मंत्रालय के अनुदान की मांग पर चर्चा के कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए।

रेल बजट का आम बजट में विलय देश हित में

इस पर गोयल ने कहा, रेलवे बजट पहले जनता को गुमराह करने के लिए होते थे, राजनीतिक लाभ के लिए नई ट्रेनों के सपने दिखाए जाते थे। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों के दौरान रेल संबंधी घोषणाएं जनता को गुमराह करने और चुनाव जीतने के लिए की जाती थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल बजट का आम बजट में विलय करने की पहल करके देशहित का काम किया है। अब जो काम किया जा सकता है, उसी की घोषणा होती है और काम होता है। रेलवे के निजीकरण करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे में बाहर से निवेश आमंत्रित करने के लिए कारपोरेटाइजेशन की बात कही गई है। इसका भी फैसला पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान हुआ था, अब इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।