मालगुडी अब हकीकत में रेलवे स्टेशन

नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर एक धारावाहिक प्रसारित हुआ था-मालगुडी डेज। लगभग 43 एपीसोड को देखने वाले बच्चे आज जवान हो चुके हैं। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आरके नारायण के काल्पनिक चरित्र स्वामी और एक काल्पनिक शहर मालगुडी खासे लोकप्रिय हुए थे। आरके नारायण ने जिस काल्पनिक शहर का नाम मालगुडी दिया था अब वो हकीकत बनने जा रहा है। भारतीय रेलवे कर्नाटक में शिमोगा जिले के अरसालु रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर मालगुडी रखने जा रहा है। अरसालू में ही मालगुडी डेज की शूटिंग हुई थी। सीरियल को देखकर जवान हुए लोग अब अपने बच्चों को लेकर मालगुडी रेलवे स्टेशन जा सकते हैं। भारतीय रेलवे ने अरसालु स्टेशन का नाम बदलकर मालगुडी डेज के निर्देशक और अभिनेता शंकर नाग को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है।

खण्डहर बन चुका है अरसालु

यह इलाका कर्नाटक क्षेत्र में हैं। अरसालु स्टेशन शिमोग्गा शहर से 34 किमी दूर है और होसनगर तालुक में स्थित है। 18 मार्च 1987 को जब मालगुडी डेज का प्रसारण शुरू हुआ था तब अरसालु रेलवे स्टेशन की हालत खस्ता थी, यह जर्जरावस्था मे था। इस स्टेशन से ज्यादा रेल गाड़ियां भी नहीं गुजरती थी। सिर्फ दो ट्रेन ही आती-जाती थी। ब्रिटिश काल में बना यह स्टेशन अब खण्डहर हो चुका है। वर्तमान में इस स्टेशन से प्रतिदिन पांच रेलगाड़ियां गुजरती हैं।

1करोड़ 30 लाख का बजट

इस स्टेशन का नाम बदलने के साथ-साथ इसका सौन्दर्यकरण भी किया जाएगा। इसके लिए दक्षिण पश्चिम रेलवे ने एक करोड़ 30 लाख रूपए स्वीकृत किए हैं। नए स्टेशन का स्वरूप ऐसा निखारा जाएगा कि लोगों का इसके प्रति आकर्षण बढ़े। इसके मूल भवन का स्वरूप नहीं बदला जाएगा, बल्कि यह ब्रिटिश काल की याद दिलाता रहेगा। रेलवे को उम्मीद है कि इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

धारणा थी हकीकत में है शहर

विश्व प्रसिद्ध लेखक कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण की लघु कथाओं में मालगुडी रेलवे स्टेशन का जिक्र आता है। इसी आधार पर निर्देशक शंकर नाग ने कल्पनाओं के संसार को टीवी के कैनवास पर साकार कर दिया। इस धारावाहिक के निर्माण में शंकर नाग के भाई अनंत नाग और अभिनेता गिरीश कर्नाड ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। हिन्दी और अंग्रेजी में एक साथ बने इस धारावाहिक ने घर-घर धूम मचाई थी। लोगों की ऐसी धारणा भी बन गई थी कि दक्षिण भारत में मालगुडी नाम का कोई हकीकत में शहर है।


अरसालु रेलवे स्टेशन ब्रिटिश काल के दृश्यों को फिल्माने के लिए हर तरह से अनुकूल था। हर सुबह हम दो शॉट्स रिकॉर्ड करने के लिए वहां पहुंचते, एक अंग्रेजी संस्करण के लिए और दूसरा हिंदी के लिए। पहला शॉट सही प्लेटफॉर्म पर लिया जाता। जब ट्रेन 20 मिनट बाद वापस आती। दूसरा शॉट विपरीत मंच पर किया जाता। ये सुनहरी और सदाबहार यादें हैं;- मास्टर मंजूनाथ, (सीरियल में स्वामी की भूमिका निभाने वाले अभिनेता)