रेलवे ने देश की बिजली इकाइयों में भर दिया 17 दिन का कोयला


नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 4.5 करोड टन बढ़े हुए कोयले का लदान किया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में में फरवरी तक औसत रेल रैक (rail rake) उपलब्धता अब तक के सर्वाधिक 425 रेल रैक प्रतिदिन रही। पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो 387 रेल रैक (rail rake) उपलब्धता प्रतिदिन थी। ऐसे में भारत सरकार ने घोषणा कर दी है कि देश के किसी भी बिजली इकाई में कोयले की स्थिति गम्भीर नहीं है, प्रत्येक इकाई पर कम से कम 17 दिन का स्टाॅक उपलब्ध है। रेलवे की कार्यकुशलता का ही परिणाम है कि अभी भी मार्च में कुंछ दिन शेष हैं और प्रतिदिन रेल रैक (rail rake) उपलब्धता का आंकड़ा 480 प्रतिदिन तक पहुंच सकता है। अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 126 बिजली संयत्रों के पास 2.97 करोड़ टन कोयला था जो एक पखवाड़े तक पर्याप्त है या उससे भी दो दिन ज्यादा चल सकता है। रेलवे की बात करें तो 2018-19 में कोयला व कोक की ढुलाई 20.17 प्रतिशत बढ़कर 68.882 करोड़ टन हो गई है, जो पिछले वित्त वर्ष में 53.992 करोड़ टन थी। इसकी वजह से कोयले और कोक से शुल्क भी बढ़कर 35.69 प्रतिशत बढ़कर 65652 करोड़ रूपए हो गया है।
ये है सुधार के मुख्य कारण
कोयले की ढुलाई में सुधार का प्रमुख कारण रेलवे का कोयला व बिजली मंत्रालयों से बेहतर समन्वय है। इसके साथ-साथ चाक-चैबंद निगरानी, रेलवे अधिकारियों की कार्यकुशलता, रेल परिचालन में सुधार और रेलगाड़ियों की गति में सुधार भी मुख्य वजह है। रेलवे के निदेशक स्तर के एक अधिकारी ने कहा कि बिजली और कोयला मंत्रालय के सचिव हौर रेलवे की उच्चाधिकार प्राप्त समिति हर 15 दिन में बिजली क्षेत्र को कोयले की उपलब्धत के बारे में निगरानी करती रही थी। यह प्रक्रिया सतत जारी रही। इससे कोयले की आपूर्ति में लगातार सुधार हुआ। उल्लेखनीय है कि कोयले की कमी सितम्बर 2017 में हुई थी और अक्टूबर 2017 में देश की बिजली इकाइयों के पास कोयले की औसत उपलब्धता मात्र 6 दिन पहुंच गई थी। इसी कारण 11000 मेगावाट क्षमता के संयत्रों को उत्पादन घटाना पड़ा था। दिसम्बर 2018 में कोयले की औसत उपलब्धता 10 दिन पहुंच गई और पिछले दो महीनों में और सुधार हुआ है तथा आज औसत 17 दिन की उपलब्धता है।