भारतीय रेल अब गगन में

बीकानेर। भारतीय रेलवे (indian railway) लगातार नवाचार कर रहा है। पिछले पांच सालों में भारतीय रेलवे भारतीय रेलवे (indian railway) की तस्वीर बदल गई है। यात्रियों को नित नहीं सुविधा देने के साथ-साथ रेल संचालन में भी नए प्रयोग किए जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर मुकाबला करने के लिए भारतीय रेलवे भारतीय रेलवे (indian railway) बुलेट ट्रेन (bullet train) चलाने की योजना पर काम कर रहा है लेकिन अब एक नया फैसला भारतीय रेलवे को देश की जनता ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर इसकी पहचान बना देगा। रेलवे अब इसरो यानि इण्डियन स्पेस रिसर्च आॅर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर काम करेगा। इसरो के गगन (GAGAN) में रेल होगी। अब आप पूछेंगे कि गगन (GAGAN) क्या है। गगन (GAGAN) इसरो की ओर से विकसित ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है, जो उपग्रह के माध्यम से काम करता है। गगन यानि जीपीएस एडेड जियो आॅगमेंटेड नेवीगेशन…। गगन का इस्तेमाल फिलहाल हवाई सेवाओं में किया जा रहा है, इससे विमानों के लैंडिंग में बहुत मदद मिलती है। भारतीय रेलवे अब ये सेवाएं लेने की योजना बना चुका है और दिसम्बर 2019 तक इस सुविधा का यात्रियों को लाभ मिलने की सम्भावना है।

ऐसे काम करेगा गगन

इसरो की ओर से विकसित गगन रियल टाइम ट्रेन इन्फार्मेशन सिस्टम आरटीआइएस पर आधारित होकर काम करेगा। इसके लिए लोकोमोटिव में एक डिवाइस इंस्टाॅल की जाएगी। इससे ट्रेन के मूवमेंट की जानकारी हासिल की जाएगी और उसे कंट्रोल चार्ट्स में फीड कर दिया जाएगा। आरटीआइएस डिवाइस ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम गगन के माध्यम से रेल की गति और इसकी स्थिति का पता लगाएगी। गगन समस्त इन्फार्मेशन सैटेलाइट को भेजेगा। सैटेलाइट के एस बैंड का इस्तेमाल करते हुए डिवाइस का डाटा रेलवे के सेन्टर फाॅर रेलवे इन्फार्मेशन सिस्टम यानि क्रिस में सूचनाएं भेजेगा जिसमें ट्रेन के आगमन, प्रस्थान, बिना किसी शिड्यूल के ट्रेन स्टापेज और मिड सेक्शन अपडेट्स की सूचनाएं भी शामिल हैं। क्रिस के सेन्ट्रल लोकेशन सर्वर सीएलएस सूचनाओं का विश्लेषण कर कंट्रोल आॅफिस एप्लीकेशन को भेज देगा जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सभी डिवीजनों में चार्टिंग कर सकेगा। ये समस्त सूचनाएं नेशनल ट्रेन इन्क्वायरी सिस्टम पर भी उपलब्ध रहेगी।

कंट्रोल रूम होगा आधुनिक

नए सिस्टम से रेलवे को रेलगाड़ियों के संचालन में काफी मदद मिलेगी। इससे रेलवे के कंट्रोल रूम को अत्याधुनिक बनाने में मदद मिलेगी, रेल नेटवर्क को अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा। सैटेलाइट से जुड़े होने के कारण चार्टिंग में भी सहायता मिलेगी, रेलवे चाहेगा तो आॅटोमैटिक चार्टिंग शुरू हो जाएगी।

सिस्टम होगा आटोमैटिक

किसी भी स्टेशन से ट्रेन रवाना होनेे या वहां से क्रास करने के बाद स्टेशन मास्टर द्वारा ट्रेन जाने की सूचना देता है। उसके बाद उसको कम्प्यूटर में फीड़ किया जाता है। कर्मचारी द्वारा कम्प्यूटर में फीड करने पर करीब पांच मिनट का समय लगता है, तब तक ट्रेन करीब काफी दूर निकल चुकी होती है, लेकिन सैटेलाइट से जुड़ने के बाद सिस्टम आटोमेटिक काम करेगा। ट्रेन की टाइमिंग फीड़ करने में करीब शिफ्ट के हिसाब से भारतीय रेलवे में बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया गया है। ट्रेन गुजरने के बाद कर्मचारी नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (एटीएस) को अपडेट करते हैं। जब सिस्टम आटोमैटिक काम करने लगेगा तो रेलवे में मैन पावर की भी बचत होगी।

हो चुका है परीक्षण

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसरो के गगन का शुरूआती तौर पर परीक्षण हो चुका है। गत 8 जनवरी को श्री माता वैष्णो देवी कटरा-बांद्रा टर्मिनस, नई दिल्ली-पटना, नई दिल्ली-अमृतसर और दिल्ली-जम्मू मार्गों पर कुछ मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों पर यह प्रणाली लागू की गई थी। अभी डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है।