gm : नहीं बनेगा रेल बाइपास, कौन वहन करेगा 400 करोड़ रुपए

-जीएम (gm) आनंद प्रकाश ने बताई रेलवे की मजबूरी
-रेल संदेश डेस्क-
बीकानेर। बीकानेरवासियों की बरसों पुरानी समस्या लगता है फिर अटकने वाली है। रेल फाटकों से निजात दिलाने के लिए एलीवेटेड रोड माॅडल के फेल होने के बाद रेल बाइपास पर आस बंधी थी। शनिवार 27 फरवरी को बीकानेर मण्डल का निरीक्षण करने पहुंचे उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक (gm)  आनंद प्रकाश की राय में रेल बाइपास नहीं बनेगा। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह स्वीकार कर लिया कि की राज्य सरकार निशुल्क भूमि उपलब्ध करवा दे तो भी यह रेल बाइपास बनना मुश्किल है। उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक (gm) आनंद प्रकाश शुक्रवार रात बीकानेर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि रेलवे ने सर्वे करवाया है। इसमें बीकानेर से लालगढ़ के बीच यदि सीधी नई रेल लाइन डाली जाए तो 80 करोड़ रुपए की लागत आती है और यदि उदरामसर से कुछ दूरी पर रेल बाइपास बनाया जाता है तो इस पर लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत आएगी। रेलवे 8 प्रतिशत वार्षिक दर पर रुपया उधार लेता है। अब देखना यह है कि रेलवे इतनी बड़ी धनराशि का व्यय क्यों करेगा। हालांकि महाप्रबंधक ने स्पष्ट शब्दों में तो नहीं लेकिन इशारो में यह बता दिया कि रेल बाइपास बनना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर है।

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महाप्रबंधक ने बताया कि पिछले दिनों राजस्थान के केबिनेट मंत्री डाॅ बी.डी. कल्ला ने उनसे मुलाकात की थी। तब रेल बाइपास के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। हालांकि अभी भी कुछ भी फाइनल नहीं है। रेलवे भी अपने स्तर पर सर्वे करवा रहा है। हाल ही रेलवे की निर्माण शाखा की ओर से करवाए गए सर्वे के अनुसार रेल बाइपास के प्रथम चरण पर लगभग 400 करोड़ रुपए लागत आएगी। यदि राज्य सरकार जमीन भी उपलब्ध करवा दे तो भी रेलवे के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करना मुश्किल है। इससे रेलवे को कोई फायदा नही होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के चारों मण्डलों में विद्युतिकरण का काम पूरा हो जाएगा। पूरे जोन में तब केवल इलेक्ट्रिक इंजन से ही रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। बीकानेर मण्डल में इन दिनों सूरतगढ़ से लालगढ़ के बीच विद्युतिकरण का काम चल रहा है। रेलवे वर्कशाॅप को इलेक्ट्रिक लोको शैड बनाने की मांग पर उन्होंने कहा कि फिलहाल तो यह फिजीबल नहीं लगता लेकिन अभी वर्कशाॅप के आधुनिकीकरण करने पर जोर है। रेलवे में कर्मचारियों की कमी का सवाल उन्होंने सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी अत्यधिक अतिरिक्त कर्मचारी है। आज मशीनीकरण का जमाना है। हम रोबोटिक मशीनीकृत कार्य की ओर अग्रसर है। चीन में हमसे बहुत कम कर्मचारी हैं और अधिकतर कार्य मशीनों से ही किया जाता है।
दो दिवसीय दौरे का समापन: महाप्रबंधक आनंद प्रकाश का दो दिवसीय दौरा शनिवार कोे सम्पन्न हो गया। वे शुक्रवार को स्पेशल ट्रेन सेबठिण्डा स्टेशन पहुंचे थे। बठिण्डा- गुरसरसहनेवाला स्टेशन के मघ्य खण्ड का विंडो निरीक्षण करते हुए संगत स्टेशन,बिरंगखेड़ा-ढाबां स्टेशनों का निरीक्षण किया। इसके अलावा उन्होंने बठिंडा – सूरतगढ़ रेल खंड पर संगरिया स्टेशन, संगरिया से हनुमानगढ़ के बीच स्पीड ट्रायल द्वारा निरीक्षण किया।
इसके अलावा हनुमानगढ़ स्टेशन, डबली राठान, पीलीबंगा, रंगमहल और सूरतगढ़ स्टेशनों का निरीक्षण किया था।