-उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में double line के 12 प्रोजेक्ट
-श्याम मारू-
(Bureau Chief)
बीकानेर। भारतीय रेलवे में पटरियों का दोहरीकरण (double line) का बड़ा महत्व है। दोहरीकरण से रेल संचालन में आसानी रहती है। गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल क्षेत्र में डबलिंग नहीं ट्रिपल लाइनों का जाल बिछाना शुरू हो गया है, राजस्थान में अभी तक डबलिंग (double line) का ही काम चल रहा है और वो भी मंथर गति से। नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे जोन में डबलिंग के 12 प्रोजेक्ट चल रहे हैं और इस बजट में एनडब्ल्यूआर के खाते में डबलिंग (double line) पेेटे 4 अरब 86 करोड 70 लाख रुपए आए हैं। इन 12 प्रोजेक्ट में से कई तो बहुत पुराने हैं। उत्तर भारत में अभी तक एकाध ट्रेक को छोड़कर ट्रिपलिंग यानी रेल पटरियों का तिहरीकरण नहीं हुआ है। इसकी बहुत जरूरत है।
बीकानेर में डबलिंग (double line) नहीं
भारतीय रेलवे में सबसे कम विकास हुआ है नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे जोन का। इस जोन में आज भी मीटरगेज की गाडियां दौड़ रही है और कई जगह मीटर गेज से ब्रॉडगेज में आमान परिवर्तन का काम चल रहा है। इन 12 प्रोजेक्ट में बीकानेर का नाम नहीं है। पिछली बार बीकानेर-जयपुर रेल लाइन को डबलिंग करने की योजना बनाई गई थी और इसके लिए बाकायदा बजट भी आवंटित किया गया लेकिन इस बार इस सर्वे का जिक्र भी नहीं है। बीकानेर से सूरतगढ़ और बीकानेर से जोधपुर तक ट्रेक के दोहरीकरा के प्रस्ताव भी तैयार किए गए थे लेकिन इन्हें पूरी तरह उपेक्षित किया गया है।
ये हैं 12 प्रोजेक्ट डबलिंग लाइन के
- आबू रोड-सरोतरा रोड—–23.12 किमी
- स्वरूपगंज आबू रोड——-25.36 किमी
- सरोतरा रोड- करजोडा—–23.59 किमी
- रानी-केशवगंज—– ——-59.5 किमी
- अजमेर-बांगुड ग्राम- ——-48.43 किमी
- गुडिया-मारवाड़————-43.5 किमी
- रेवाड़ी-मन्हेरू—————69.02 किमी
- बांगुड़ ग्राम-गुडिया————–47 किमी
- रानी-मारवाड़—————-54.5 किमी
- अलवर-बांदीकुई————-60.37 किमी
- फुलेरा-डेगाना————–108.75किमी
- डेगाना-राईका बाग————-145 किमी