कुलियों को स्टेशनों पर अलग रास्ता

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने अपने अहम किरदार कुली की एकबार फिर खैर-खबर ली है। रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का भार हल्का करने वाले इन कुलियों के लिए नया रास्ता बनाने की तैयारी शुरू की है। स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही और सामान लाने-ले जाने में सहूलियत देने के मकसद से रेलवे बोर्ड ने कूलियों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली ट्रॉली ले जाने के लिए अलग रास्ता बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016 में कूलियों का नाम बदल कर सहायक कर दिया था। आदेश में कहा गया है कि आवाजाही को सुगम बनाने के लिए ट्रॉली के लिए रास्तों का निर्माण कराया जाएगा। यह रास्ते सभी प्रमुख स्टेशनों पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

भीड़ कम होगी

देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर ट्रॉली ले जाने के लिए रास्ता बनाने से स्टेशनों पर न केवल भीड़ कम होगी बल्कि इस असंगठित क्षेत्र की सामाजिक सुरक्षा भी मजबूत होगी। यात्रियों का सामान अपने हाथों और सर पर ढोते रहे कूलियों को सामान की ढुलाई के लिए ट्रॉली के इस्तेमाल का विकल्प दिया गया है। ट्रॉली से सामान ले जाने से स्टेशन पर रास्ता बाधित होता है क्योंकि यह भारी-भरकम होती है और व्यस्त समय की भीड़ के दौरान इन्हें लेकर चलना मुश्किल होता है।

बच्चों का एडमिशन

इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने रेल कर्मचारियों के संगठन या महिला समिति द्वारा संचालित स्कूलों में कूलियों के बच्चों को दाखिला देने की भी अनुमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि लगभग सभी मण्डल मुख्यालयों पर प्राइमरी स्कूलें संचालित हैं। ऐसे में कुलियों के बच्चों को एडमिशन मिलने से उनकी पढ़ाई व्यवस्थित हो सकेगी।

आरओ का पानी व टीवी की व्यवस्था हो

रेलवे स्टेशनों पर कुलियों के लिए अलग से रास्ता बनाने के अलावा रेलवे ने कुलियों के विश्राम का भी ध्यान रखा है। सबसे पहले तो स्टेशनों पर अलग से विश्राम कक्ष की सुनिश्चतता की। रेलवे ने यह कहा है कि उन सभी स्टेशनों पर विश्राम कक्ष होने चाहिए जहां 50 या उससे अधिक सहायक हों। साथ ही कुलियों यानि सहायकों के विश्राम कक्षों में टीवी, आरओ का पानी, बैरक बेड आदि की सुविधा दी जानी चाहिए।